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Showing posts from June, 2017

😕yes, college was now history

I woke up this morning in a rush, Looked for something under my closet in hurry, A sudden realisation then made me sad, yes, college was now history. College meant "friends", college meant "fun", College meant "shopping", college meant "bunks", College meant "long lectures", college meant "paper chats", College meant "6 semesters", college meant "spoilt brats", College meant "free entry to RPM", college meant "junk food", College meant "trips", college meant "changing moods", College meant "matching bags", college meant "makeovers", College meant "festivals", college meant "mocha shake and hookaah", College meant "cab fees", college meant "high heels", College meant so much more, college meant "life". College connects me to a million moments, a million smiles, a m...

😑Live with the illusion, live in the illusion

The most beautiful things in life do not exist for a long time. We have our own beliefs in our own promises made to our selves and others. Beliefs with respect to relationships, dreams, aspirations, hopes, which succeed or fail, as their functioning and destiny is not under our control. We think what we like to think, we intend to believe things that make us feel good, by perceiving the unreal reality and the impossible true. In the end, we realize and understand that it is just an incubation of the mind, an illusion, that does nothing but brings temporary happiness to us, especially when we are lonely. We believe and think that the things that we desire would exist for ever, but there is nothing permanent in life. Every thing has an end, an expiry date. There comes a time when nothing can fill the void created between the mind and the heart. At times, we smile and are happy knowing well in the back of our minds, that this is a transitory phase and we are going to lose it all in the ...

Long राह में है छाई ऐसी तन्हाई

राह में है छाई ऐसी तन्हाई, खुद का साया भी पराया सा लगता है, जिस प्यार पे था भरोसा खुद से ज़ादा, अब वो बिछड़ा हुआ साया सा लगता है, हम छोड़ चले अपनी राहें एक अधूरी मंज़िल के लिए, कुछ मजबूर खुद से और कुछ अपने दिल के लिए. अपनों को खुद से दूर करते हुए, तोड़ा दिल के आगे मजबूर होते हुए, तेरे लिए सब गवाते रहे, सबसे दूर,और तेरे करीब आते रहे. जब यह जहाँ छोड़ दिया, तेरे लिए सबसे मूह मोड़ लिया, तूने कहा यह मोहब्बत नहीं, जो कुछ हुआ वो हक़ीक़त नहीं, दिल तोड़ के हमारा आप मुस्कुराते हुए, हाथ छुड़ा के दूर जाते हुए, हमें ही तन्हा कर गये, हम भी खामोश से खड़े रहे, दिल के टुकड़ों को समेत-ते रहे, शायद खुद को ही रुसवा कर गये. राह में है छाई ऐसी तन्हाई, खुद का साया भी पराया सा लगता है, जिस प्यार पे था भरोसा खुद से ज़ादा, अब वो बिछड़ा हुआ साया सा लगता है.

💌|हवा का रुख है बदला|

हवा का रुख है बदला , या जुड़ गई दो तकदीरें , कहने को गुज़रा एक लम्हा , पर बन गई यादें यह तसवीरें .... आईना है साफ़ पर, नज़र धुंधलाई सी है , सवाल हा आज पर , कल की फ़िक्र छाई सी है .. फिर आँखों में न खो जाएँ , मोहब्बत की लगाम को थामो , यूँ हम बहक न जाएँ , फिर न ऐसे मुस्कुराओ , तकदीरें बदलने के शौक रखने वाले का , ऐतबार करना चाहे दिल अब उपरवाले का ...

🤗|यह सैलाब अश्कों का|

यह सैलाब अश्कों का , कहीं ना बहा ले जाए , मोहब्बत के कच्चे घरौंदे , जो हमने मिल के बनाए  ... डर लगता है अब क्यूँ , की तुम भुला डोज हमें कभी किसी और से यूँ ही , जुड़ कर दगा दोगे हमें , कभी किसी और से यूँ ही ... ऐतबार तुम पर तो है , वह भी खुद से बढ़कर , पर तुम्हे छुपा के रखें , जहाँ न देख सके कोई तुमको , सर हम जी भर के देखें ... ना जाने कब यह तूफ़ान थमेगा , हर कतरे का यह ज़ख्म भरेगा , तुम्हे पा सकते नहीं , पर खोने का डर सताता है , ना जाने क्यूँ फिर यूँ ही , दिल फिर से भर आता है ...

🎈यही सवाल है खुद से

यही सवाल है खुद से , क्या फिर कर पाऊँगी मैं बात तुमसे , क्या सुन पाउंगी हंसी तुम्हारी , क्या तुम्हारी सांसें सुनूंगी ... तुम्हे सुने जैसे गुज़र गए अरसे , तम्हे सुनने को अब यूँ हम तरसें , तुम्हारी बातें .. तुम्हारी कहानियां , तुम्हारे शिकवे , तुमसे वो लड़ाईयां ... हाँ सुनने में अजीब है , पर फिर लड़ना है तुमसे , प्यार को अपने गहरा करना है फिर से , फिर से तुमसे इकरार है करना ... फिर तुम्हे है अपनी बाहों में भरना , सुन्ना है तुम्हारी खामोशियों को , बिन मतलब की उन सरगोशियों को , देखनी हैं तुम्हारे होंठों की अदाएं , दिलकश तुम्हारी वो प्यारी खताएं ... समेटनी है तुम्हारे हाथों की नर्मी , छूनी है तुम्हारे बदन की गर्मी , करनी है तुमसे बिन बात की अनबन , तुम्हारे होंठों से फिर इन होंठों का संगम ... कहो ना कब मिलोगे , तुम्हे फिर से पाना है , तड़प है या जूनून , जो भी है .. हसीन है , तुम्हारी तर तुम्हारा इंतज़ार भी ... कहो ना कब मिलोगे , तुम्हे फिर जताना भी है , जो भी है .. हकीकत है , तुम्हारे लिए मेरा प्यार भी ...

🎈यूँ ही सोचती हूँ कभी

यूँ ही सोचती हूँ कभी , कदम बढाते - बढाते, शायद तुझसे टकरा जाऊं , जो मुकाम ना आ पाया था , उस मुकाम पर पहुँच जाऊं ...  जब तेरे आने की उम्मीद रत्ती भर ना हो , जब जुदाई का मंज़र सदियों का हो , तब यूँ ही चाँद यह बदल दे अपने इशारे , गर्दिश से निकल आयें मेरे सितारे ... भीड़ में भी महसूस करते हैं तुझको , कभी इस्सी भीड़ में तुझे फिर मिल जाएँ , आँगन में मेरे आये खुशबू तुम्हारी , काश सुबह उठूँ और देखूं सूरत तुम्हारी ... बदल ले किस्मत भी रुख अपना कि मोहब्बत की ताक़त कोई हमें भी समझाए , सुना है बहुत कहानियों में जो किस्सा , वो हकीकत में भी अपना कोई रंग तो दिखाए ...

🎈अब रातें लम्बी लगने लगी हैं

अब रातें लम्बी लगने लगी हैं , वक़्त काटने से कतराता है , चांदनी सिमटने सी लगी है , हवा का रुख ठहर जाता है .... कतरे तेरी यादों के जोड़ जोड़ , मुस्कान छोड़ आए हम उस मोड़ , जहाँ तेरे घर की पहली सीड़ी थी , वहीँ कहीं मेरी मुस्कान  गिरी थी ..... दिन भर कोई काम नहीं होता आजकल , तेरी तस्वीर मगर मसरूफ रखती है अब , तेरे चेहरे की गहराईयों में उतर कर , शायरी भी करने लगी हूँ मैं अब ... सुबह भारी भारी सी क्यूँ लगती है , या तेरी उम्मीद में नज़र जगती है , तेरी खुशबू लिए हर ख़याल है आता , और इंतज़ार का एक लम्हा दे जाता .... अब रातें लम्बी लगने लगी हैं , लो फिर आ गई वहीँ मैं लिखते - लिखते , मगर जैसे रात वहीँ ठहरी है अब तक , फिर गुजारनी है अब तुझे सोचते सोचते ...

🤗|बस एक ख़याल काम आया मेरी बेचैनियों के|

बिस्तर की सिलवटों में तुम्हारी खुश्बू ढूँढ रही थी, आज सुबह मेरी उंगलियाँ तुम्हारी उंगलियाँ ढूँढ रही थी,  तुम्हारी गर्म साँसों की तलाश थी कुछ,  और तुम्हारी सरगोशियों का इंतेज़ार भी था, तुम्हारे होंठों की नर्मी की आरज़ू में दिल बेकरार भी था. कैसे आदतें पड़ जाती हैं मौजूदगियों की,  सोच रही थी आज यही पूरे दिन मैं,  मन भटकाने की, भुलाने की कोशिश कर रही थी मैं,  पर बस एक ख़याल काम आया मेरी बेचैनियों के,  की हम बहुत जल्द फिर मिलने वाले हैं.

कुछ कह रही तही हवा and more

कुछ कह रही तही हवा शायद तेरा ही नाम था वरना मेरे पलों में रौनक यूँ ना आती. शिकस्त कहूँ इससे अपनी,या जीत तेरी मुझे खो तूने सब पा लिया हमारे ख्वाब कब तेरे-मेरे हो गये इन राहों में चलते चलते,पता ना चला. |मेरे ख्वाबों को रौंध वो अपने सपनो का महल बनाने निकल गये फिर भी ना जाने दुआ ही आती है क्यूँ तू जो चाहे तुझे हासिल हो कर रहे.| हर किससे का कोई अंत होता है हर राह की कोई होती है मंज़िल रूह बिखरने लगती है मगर जब टूट ता है दिल, अश्क़ जब आँख में थमे रह जाते हैं, बेरूख़ी की बात मुस्कुरा क कह जाते हैं, इश्क़ की दास्तान ही ऐसी है, पाक हो कर भी अफ़साने अधूरे रह जाते हैं. |ल़हेर का क्या है छू कर वो किनारा दरिया में लौट जाएगी. पर किनारे का क्या जो ल़हेर की बूँदों को धूप से सूखने ना देगा.|

🏴तू तकदीर में नहीं तो क्या.

तेरी लकीरों की, मेरे हाथों को,  आदत पड़ गयी है, तू तकदीर में नहीं तो क्या. तेरे बदन की खुश्बू, मेरे रोम रोम में, घर कर गयी है, तू बाहों में नहीं तो क्या. तेरी आँखों की, मेरे नज़ारों को, आदत पड़ गयी है, तेरा दीदार ना हो तो क्या. तेरी आवाज़, मेरी बातों में, घर कर गयी है, तुझे कभी ना सुन सकूँ तो क्या. तेरी सादगी, मेरे रंग में, घुल सी गयी है, तुझे फिर छू ना सकूँ तो क्या. तेरी हँसी, मेरे घमो पर, जम सी गयी है. मैं अश्क़ ना बहा सकूँ तो क्या.

🎈|उनका इंतेज़ार करना हम छोड़ चुके हैं and more|

1. हसाया था उन्होने, खुशियों पर हक़ मैने भी जमाया था कभी, अब रुलाया है इतना, की घम पर भी हक़ जताने से कतराते हैं. |2. शक्सियत खुद की भुला बैठी हूँ खो कर तुझे, अब रौनाकें भी अंधेरोन की ओर ले जाती हैं.| 3. बड़े बे-रहम थे वो और उनकी मोहब्बत भी, हूमें मिलने बुलाया तहा उस दिन और अब, वो दिन हमारी आख़िरी मुलाक़ात के नाम से मशहूर है. . चाहत से ज़ादा मोहब्बत कर बैठे, इनायत से ज़ादा इबादत कर बैठे, अब वो जुड़ा हैं मुझसे तक़दीर का खेल देखो, वो चाहत से ज़ादा नफ़रत कर बैठे. 5. सितम उनके कम ना हुए दिल तोड़ कर भी, उनके रौंधने पर भी क्यूँ सुकून मिलता है. 6. उनकी हर अदा ने दीवाना किया था, अब उनकी बेवाफ़फई भी अदा ही लगती है. 7.| उनका इंतेज़ार करना हम छोड़ चुके हैं बस मड मड के देखने की आदत नहीं गयी.|

🚩तुझे भुला दिया था शायद

तुझे भुला दिया था शायद, या यह सोचना भी मेरी खता थी, तेरी तस्वीरें जला चुके थे, या छुपा रखी थी कहीं, यह बात दिल ही दिल में पता थी. तुझे भुला दिया था शायद, और कहीं ना कहीं यह मान लिया था, दिल के टूटने की अब आहट भी ना होगी, तेरी हर याद को ज़हेन से मिटा दिया था, मगर ख्वाबों पर काबू कहाँ था. तुझे भुला दिया था शायद, हर धड़कन मगर अब भी तेरी थी, सहेर थी या शभ थी, तेरी जूस्तजू जर वक़्त थी, तुझसे फासलों पर थी, पर दूरी कहाँ थी. अब दिल टूटा तो ना मुस्कुरा पाए, ना अश्क़ बहा पाए, ना कुछ समझा पाए, एक मोड़ पर कहीं थम गये, तेरी आवाज़ सुन सारे अरमान जम गये, तेरे लब पर नाम सुनके किसी और का, मोहब्बत के आशियाँ बिखर्र गये. तुझे भुला दिया था शायद, अब यह हर पल का सवाल है, खुद से, खुदा से, इस सारे जहाँ से, मोहब्बत इतना तड़पाती क्यूँ है, तरसाती क्यूँ है,आज़माती क्यूँ है, क़िस्सिको क़िस्सीसे मिलाती क्यूँ है, दिल धड़काती क्यूँ है,सताती क्यूँ है, अब भी ये सोचा करती हूँ, तुझे भुला दिया था शायद, तुझे भुला दिया था शायद.

🤗|Thoughts|

I was drowning in my own ocean of thoughts, he was like an air bag filled with dreams. Medhavi

🎈अंधेरो में गुम किसी साए की तरह

अंधेरो में गुम किसी साए की तरह,  वो अजनबी हुए किसी पराए की तरह, मूड के देखा तो खुद से ही टकरा गये,  टूट गये एक पल में हक़ीकतों की आईने. वो निकल गये सामने से बीते अफ़साने की तरह,  वो मित्त गये तकदीर से गुज़रे ज़माने की तरह,  जीतने तहे हसीन ख्वाब सब मुरझा गये, खुद पर हँसना चाहा तो नैन पथरा गये.

🤗|Sher|

Shikaayatein kuch khud se Hain, Kuch tumse bhi, Kabhi miloge toh poochenge, Tumne khud se humko bachaaya kyun nahin? Medhavi

😒आज मीलों दूर हो कर भी

आज मीलों दूर हो कर भी, उनसे करीबी का एहसास हुआ, शान ओ शौकत है मगर, कुछ ग़रीबी का आगाज़ हुआ, उन्हे छोड़ आए थे हम बरसों पहले, इस एक ख्वाब का पीछा करते हुए, अब जब सब हासिल है हुमको तो सोचते हैं,  क्या हम खुद मुक़ाम्मल हुए ?

🚩आदतें

आदतों की आदतें समझते समझते, ना जाने कब फ़ितरतओ से मुलाक़ात हो गयी, झाँक रहे थे गुज़रे वक़्त के दरीचे से, और बस यूँ ही हसरतओ से बात हो गयी.

🚩उस कच्ची सड़क की मरम्मत

उस कच्ची सड़क की मरम्मत आज होते देखी, जिसके कंकड़ो से हमने यूँ ही खेला था कभी,  खूबसूरत लगेगी शायद अब वो पुरानी गली,  पर सवाल फिर भी दिल में आया मेरे पुराना वही,  वो कंकड़ अब भी तुम्हारी दराज में पड़े हैं क्या ?  उनकी धूल अब भी तुमने बचाई रखी है ?  या इस नयी सड़क के बनने से बहुत पहले,  तुमने मेरी तरह मेरी हर याद भी भुला दी है.

Para. The longest night

It was the longest night of my life, the day my best friend died in a sudden road accident. I didn't know what to think or feel, how to act or react, suddenly I didn't know how to live. There were moments when I felt like going to him, there were moments when I wanted to kill myself, there were moments of remorse, there were moments of regret, there were moments of hate, there were moments of guilt. It was an upside down ride that was complicating each thought in my mind. I was thinking and re-thinking and there was a certain recycling of thoughts. I had so much to say to him and so much to ask. I had so many questions. I had so many apologies to give. I had so many complaints and we had so many moments yet to live. I remember how I couldn't sleep no matter how hard I tried. After hours of crying I reached a point when I couldn't breathe. Can you believe, I felt as if I didn't know how to breathe, and I was feeling choked and as if I was dying. It was insanel...