☑️mohabbat hai ya shikva, jo bhi hai khoobsurat hai... (2010 : My Fav Work)
खुशियों की तलाश ना करते थे हम, हमें तो एक पल के करार की जूसतजू थी, तुम मिले तो लम्हे थम से गए, ना जाने कब तुम हमारे बन से गए, ज़िंदगी के नगमों में तुम्हे ही गुनगुनाती हैं अब यह तनहाईयाँ, शभ के अंधेरोन में तुम्हे ही ढूँढती हैं यह वीरानियाँ, तुम यूँ ही एक पल आते हो, छू के गुज़र जाते हो हवा के झोंके की तरह, ना कुछ कहते हो, ना मुझे सुन पाते हो, एक एहसास दे जाते हो अपने जीने की वजह की तरह, तुम ना हो अपने, मगर अब पराया तुम्हे ना कह पाते हैं हम, तुम होते हो सामने, तो एक पल को भी ना नज़र फेर पाते हैं हम, प्यार हमारा तुम ना मंज़ूर भी कर दो तो कोई शिकायत नहीं, तुमने इनकार करने के लिए ही, हमें देखा तो सही. यह इरादा नहीं एक इलतेजान है तुमसे, की तुमसे है अब यह ज़िंदगी की साँसें बँधी सी हुई, ना आओ करीब हमारे अगर हसरत नहीं, मगर तुम मुस्कुराव क्यूंकी इससे में है हमारी खुशी, शिकवा करें या शुक्रिया, यह खुदा की ही एक मूरत है, यह तुम्हारी ही कोई अदा है सनम, मोहब्बत है या शिकवा, जो भी है खूबसूरत है. khushiyon ...