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Showing posts from September 30, 2015

Kyun..

ना जाने कहाँ वो मोहब्बत, वो बेकरारी गुम हो गयी, जो हम तुम में एक सी थी, ना जाने 'हम', कब 'तू' और 'मैं' बन गये, ना जाने कब, यह फ़ासले आ गये, ना जाने क्यूँ, हर रंग फीका पड़ड़ने लगा, ना जाने क्यूँ, हर ख्वाब टूटने लगा, दूरियों की ज़रूरत क्यूँ हुमको लगने लगी, क्यूँ बातों को सबूतों की ज़रूरत पड़ने लगी. क्यूँ वो यकीन मिटने लगा, क्यूँ हर ज़ररा बिखरने लगा, क्यूँ वो नज़र बदलने लगी, क्यूँ आँखें यह भरने लगी, क्यूँ पास रहकर भी साथ का एहसास गुम होने लगा, क्यूँ तुमको छू कर भी, तुम तक ना पहुँचे, ऐसा लगने लगा, क्यूँ सारी कमियाँ अब दिखने लगी, क्यूँ दूरी की ज़रूरत पड़ने लगी. Medhavi 30.09.15