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Showing posts from October 8, 2019

Choor choor

बेखौफ ज़िन्दगी  यूँ ही ना हुई , बहुत  से ऐसे  मनज़रो से सामना  हुआ, जहां टूट कर मैं कितनी दफा चूर चूर हुई ... ज़माने ने डाली बेडियां  पैरों में मेरे, हर बार उन्हे तोड़ मैं खुद ही आज़ाद हुई... लड़ के मगर फिर मैं किसी गलत के लिए, ना जाने कितनी दफा खुद ही बर्बाद हुई... साथ देने का वादा किया ना जाने कितनो ने, हाथ पकड़ के छोड़ने की फित्रत समझा भी गए , समझा ना सकी खुद को, कैसे समझाती मैं सबको , कि किसिकी बातों में मैं यूँ  ही आ भी गयी... साथ था ना कोई  और जब मुड के देखा , मैं ही गलत थी, और ऐसे ही मशहूर हुई, सब भूल गए सारी अच्छी  बातों को, ना जाने कितनी दफा मैं टूट कर चूर चूर हुई... मोहब्बत भी सुनी और दोस्ती भी सुनी, मैने अपनी दुनिया कितने धागों से पिरोई , टूटे उस माँझ की पतंग से ख्वाब जैसे, इन राहों में मैं तनहा कितनी बार हुई, सबको बनाया अपना, पर मैं किसी की ना हुई... ली दुष्मनी गैरों से अपनो की आन की खातिर, और खुद का तामाशा बनते  कई बार देखा, बुरे  वक़्त में मेरे किसी ने मेरी आह  भी ना सुनी, जिनकी  अपनी नींदे  मैने खराब की थी, उन्होने खुद तक पहूँचने की सीड़ी भी उपर ले ली.. न