Choor choor

बेखौफ ज़िन्दगी  यूँ ही ना हुई ,
बहुत  से ऐसे  मनज़रो से सामना  हुआ,
जहां टूट कर मैं कितनी दफा चूर चूर हुई ...

ज़माने ने डाली बेडियां  पैरों में मेरे,
हर बार उन्हे तोड़ मैं खुद ही आज़ाद हुई...
लड़ के मगर फिर मैं किसी गलत के लिए,
ना जाने कितनी दफा खुद ही बर्बाद हुई...

साथ देने का वादा किया ना जाने कितनो ने,
हाथ पकड़ के छोड़ने की फित्रत समझा भी गए ,
समझा ना सकी खुद को, कैसे समझाती मैं सबको ,
कि किसिकी बातों में मैं यूँ  ही आ भी गयी...

साथ था ना कोई  और जब मुड के देखा ,
मैं ही गलत थी, और ऐसे ही मशहूर हुई,
सब भूल गए सारी अच्छी  बातों को,
ना जाने कितनी दफा मैं टूट कर चूर चूर हुई...

मोहब्बत भी सुनी और दोस्ती भी सुनी,
मैने अपनी दुनिया कितने धागों से पिरोई ,
टूटे उस माँझ की पतंग से ख्वाब जैसे,
इन राहों में मैं तनहा कितनी बार हुई,
सबको बनाया अपना, पर मैं किसी की ना हुई...

ली दुष्मनी गैरों से अपनो की आन की खातिर,
और खुद का तामाशा बनते  कई बार देखा,
बुरे  वक़्त में मेरे किसी ने मेरी आह  भी ना सुनी,
जिनकी  अपनी नींदे  मैने खराब की थी,
उन्होने खुद तक पहूँचने की सीड़ी भी उपर ले ली..

ना सोयी हफतो , महीनो , अब तो साल हूए,
बिखरी नींदो  से दोस्ती भी तो यूँ ही हुई,
चीखते रहे अल्फाज मेरे काग़ज़ पर,
पढ़ पढ़ कर बस सबने वाह वाह ही किया,
किसी ने पूछा  नही कभी कि क्या  यह है कहानी मेरी  ही,
ना किसी ने गले लगा कर बुरे खयालों को शांत  किया,
मैं सब के लिए एक स्तेशन , एक सीडी  ही बनी,
ना जाने कितनी दफा मैं टूट  कर चूर चूर हुई...

फिर भी समेटे तुकडे खुद के चुन  चुन कर,
बुरे वक़्त के सायों को नए ख्वाबों  से ताराषा ,
वक़्त को पीछे  छोड़  कर आगे भी बढी ,
और उम्मीद करना अभी तक नही छोड़ा ...
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Medhavi
9 / 10 / 19

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