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Showing posts from October 18, 2016

आपको देखते हैं तो सोचते हैं

आपको देखते हैं तो सोचते हैं, वो कौन सी नज़्म होगी, जिससे हम आपको बयान कर सकेंगे, वो कुदरत की कौन सी मिट्टी होगी, जिससे फिर आप बन सकेंगे, वो कौन सी हवा का झोंका होगा, जो आपको छू कर ना महेकेगा, वो कौन सी रात का समा होगा, जो देख के आपको ना फिर सहेर होगा, वो कौन सा फूल होगा, जो आपकी एक मुस्कान से बच के मुरझा सकेगा. आपको पाने की चाहत नहीं, दूर से देखने की तमन्ना है, ना है कोई सवाल, ना हमें कभी आपका बनना है, बस एक फ़ासले पर रह कर, दुआएँ माँगनी हैं, आपकी खामोशियों से आपके दिल तक पहुँचना है. यह मोहब्बत है या इबादत, अंतर कर पाना मुश्किल है, अब भी बेकरार होता है आपको देख, यह मेरा दिल है, बरसों गुज़र गए मगर, आज भी आपसे मिलने से घबराता है, यह दिल ज़रा ज़ोर से धड़कने से कतराता है. आप ना हासिल हों हमें कोई शिकवा नहीं, ऐसी कुछ चीज़ें तो हैं जो आपको छू कर गुज़रती हैं, यह हवा, यह मौसम, यह बरसात की बूँदें, यह धूप, यह धूल, यह फ़ुर्सत के लम्हे. हर पंछी जो आप पर छाए आकाश में उड़ कर ही आज़ाद होता है, हर मौसम जो आपको सताने से पहले सौ बार सोचता है, हर आँसू जो आपकी आँखों का गैरों क