Long राह में है छाई ऐसी तन्हाई


राह में है छाई ऐसी तन्हाई,
खुद का साया भी पराया सा लगता है,
जिस प्यार पे था भरोसा खुद से ज़ादा,
अब वो बिछड़ा हुआ साया सा लगता है,
हम छोड़ चले अपनी राहें एक अधूरी मंज़िल के लिए,
कुछ मजबूर खुद से और कुछ अपने दिल के लिए.

अपनों को खुद से दूर करते हुए,
तोड़ा दिल के आगे मजबूर होते हुए,
तेरे लिए सब गवाते रहे,
सबसे दूर,और तेरे करीब आते रहे.

जब यह जहाँ छोड़ दिया,
तेरे लिए सबसे मूह मोड़ लिया,
तूने कहा यह मोहब्बत नहीं,
जो कुछ हुआ वो हक़ीक़त नहीं,
दिल तोड़ के हमारा आप मुस्कुराते हुए,
हाथ छुड़ा के दूर जाते हुए,
हमें ही तन्हा कर गये,
हम भी खामोश से खड़े रहे,
दिल के टुकड़ों को समेत-ते रहे,
शायद खुद को ही रुसवा कर गये.

राह में है छाई ऐसी तन्हाई,
खुद का साया भी पराया सा लगता है,
जिस प्यार पे था भरोसा खुद से ज़ादा,
अब वो बिछड़ा हुआ साया सा लगता है.

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