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|रहगुज़ार|

रहगुज़ार जो थे हमसफ़र बन गये, ज़िंदगी की दौड़ में दो दिल ठहेर गये, माँगी थी दुआ आशियाने की, जन्नत पा गये, यूँ ही चलते चलते देखो हम कहाँ आ गये. Dedicated to my Bestie Shil n Naveen :-)

Para. Life goes on... with or without someone..( A Story )

I started smiling again, I started living again, even after dying a million deaths, even after an un-repairable heart-break. It took time, hours, weeks, months and years, but it happened and all this while life paused within me. Smiles visited occasionally, but just stayed within the outer shell, laughter came rarely, but just couldn't pass the translucent layers of loneliness. I gathered my own pieces everyday, but found them scattered all over, the next day. The vicious circle went on and on. My self-confidence and self-respect had completely devastated. Whenever I looked into the mirror, all I could see were my tearful eyes. his violent acts, his heart-wrenching words, his betrayal haunted me every night. I couldn't sleep, I couldn't concentrate, I couldn't write, I couldn't talk much. I thought alcohol was the common solution, as I had seen in films and among the people I knew, so just adopted it as a solution. Alcohol soon became an alternative to slee...

🎈|बड़ी धीरे जल रही थी|

बड़ी धीरे जल रही थी, वो रात बरसात की, कोहरे में पिघल रही थी, वो शभ एहसास की, कहने को काफिला था, पर हक़ीक़त में एक तस्वीर थी, मोहब्बत का नाम था, और कहने को रांझे की हीर थी, अफ़साने थे, तराने थे, जो दोहरा रही थी रात वो, हम जो भूल चुके थे, किससे दोहरा रही थी रात वो, वो बढ़ रही थी आगे, पर दूर मुझसे थी मीलों खड़ी, तक़दीर सुलझा रही तही गाँठे, पर उलझनें मेरी थी बढ़ रही, वो रात गुज़री तिनका तिनका, मेरी ऑर बस बिखरे ख्वाब रह गये, उसकी तरफ उजालों से भरे अंधेरे थे, शिकस्त तो हम दोनो की थी, पर मोहब्बत की फ़ितरत फिर रंगों में ढल गयी. Medhavi 30.01.15

तू खुद सा था...

तेरी ख़ासियत यही थी, की तुझमें सब तुझ सा था, ना तू था छवि किसी की, ना था तू किसी ख्वाब जैसा, बस था तू अपने जैसा. हर अदा तेरी खुद की थी, ना तू बना किसी के जैसा, तू अपना रब, अपनी वजह है, तुझमें हासिल हो आईना सा, क्यूंकी तू बस खुद की तरह है. तुझे कह ना पाई शायद, या जताने का ख़ौफ्फ था दिल को, तुझे पा कर भी लगता था शायद, खो दूँगी ही यूँ ही तुझको. कभी बनी मैं संगदिल सी, कभी मोहब्बत की बरसात कर दी, कभी रूठ गयी मैं यूँ ही, कभी देख के तुझको इबादत कर ली. मैं बदली लाखों दफ़ा पर, एक ज़ररा भी तेरा ना बदला, यकीन होने लगा वफ़ा पर, क्यूंकी तू ना कभी बदला. तुझमें तेरी ही अदा है, यूँ ही नहीं हर ज़ररा मेरा फिदा है, तेरे सामने से जो गुज़रे, शायद तुझे ना देखे, पर एक लम्हे को ही वो शक़स, मेरी चाहत का हक़ ले ले. तुझे सराआहना मेरी इप्तदा है, इश्क़ की यह इम्तिहान है, मुझे समझो या ना समझो, बस खुद से बनके रहना, बदलने देना मंज़िलों को, पर खुद से बैर ना करना. मेधावी 22.01.14

तुम संग यूँ राहतों का काफिला निकल पड़ा

तुमको पा कर, हासिल करने की, चाहत ना हुई कभी, तुम संग यूँ राहतों का, काफिला निकल पड़ा. तुम्हे देख, छूने की तमन्ना ज़रूर थी, तुम्हे छू जो हवा चली, अरमान मुकम्मल हुआ. तुम्हारा हाथ थाम, दुनिया से दूर चलते कहीं, पर तुम संग यह राहें ही, मंज़िल लगने लगी. तुमको सुन कर, क़ैद करना चाहा, हर लफ्ज़ तुम्हारी आवाज़ का. खामोशियाँ भी कीमती, तेरे संग लगने लगी. तुम्हारी आँखों में, उतरे अश्क़ को करना चाहा रवाना, आँख मेरी कब भर आई, पता ना चला. तुम्हारे होंठों तक, भेजी मुस्काने कई मैने, दुआ-यें भी सब मेरी, तेरे नाम हो गयी. हवाओं के ज़रिए, भेजा संदेस तुझे स्पर्श का, बरसात यह भिगो तेरा दामन, और पाक हो चली. तुमको पा कर,  हासिल करने की, चाहत ना हुई कभी. तुम संग यूँ राहतों का, काफिला निकल पड़ा.

कहीं तुम में ही.

यह हवा, बरखा, बारिश, करेंगे फिर तेरी यादों की साज़िश. यह चंदा, सूरज, तारे, लड़ पड़ेंगे तुझसे सारे. भुलाने की मुझे अगर, तू कोशिश भी करेगा, मेरे ख़याल के साथ, तेरा अश्क़ भी बहेगा. इस हवा को, बूँदों को, चाँदनी को, इन्हे देख, महसूस कर, मुझे छूना हल्के-हल्के, ना राहें बदलेंगी यह, ना आ सकूँगी तेरे करीब मैं चल के. पर कुछ रहेगा मेरा भी जुड़ा हुआ सा तुझसे, कोई किस्सा, या काग़ज़ का टुकड़ा, कोई चीज़, क़िस्सी याद हिस्सा, ना दोष देना मुझे तब, यही सोचना, होश मेरे भी गुम होंगे, कहीं तुम में ही.

🤗|lehar... (2013)|

Leher ka kya hai Choo kar woh kinaara Dariya mein laut jaayegi.. Par kinaare ka kya Jo leher ki boondon ko Dhoop se sookhne na dega... -Medhavi