Long. प्यार की शायद कोई हद तय की जा सकती

प्यार की शायद कोई हद तय की जा सकती ,
कोई गिनती, कोई सरहद तय की जा सकती ,
प्यार को काश कोई नाम दिया जाता ,
कोई मंजिल , कोई अंजाम दिया जाता ...

तो शायद प्यार की सीमाएं होती,
शाखाएं होती , सदायें होती ,
दायरों से घिरा वजूद भी होता ,
प्यार का फिर कोई नया रूप भी होता ...

मगर प्यार तोह यूँ ही सही है हर मायीनों में ,
क्यूंकि नहीं घिरा है यह कायदों से ,
प्यार को आज़ाद , पाक ही रहने दो,
क्यूंकि प्यार में मिलावटों की जगह नहीं होती ,
इससे यूँ ही बेपरवाह  सा ख्वाब रहने दो ,
की इसमें घब्राहतों की जगह नहीं होती ...

Comments

Popular posts from this blog

oas 🌸

ghum 🌸

neend 🌸