Hansi

तुम्हारी  हंसी  गुंजती  है  अब  भी  कभी  कभी  कानो  में ,
फिर  आयीना  देख  कर  मैं  गुजरे  कल  पर  खुद  हंस  दिया  करती  हूँ |
- मेधावी

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