Long. बहन की शादी का सफरनामा

एक प्यारे दोस्त ने कहा इतना अच्छा लिखती हो तुम,
तो कम से कम आज के लिए कुछ लिखना तो बनता है,
तो आज सोचा की यादों के बक्से के कुछ क़िस्सों को धूप दिखा दूं,
अपनी बहन की शादी पर उनकी उनके गुज़रे बचपन से फिर मुलाक़ात करा दूं,
फिर सोचा कहाँ से शुरू करूँ,
क्यूंकी यह सफ़र जितना उनका है,
उतना मेरा भी है, और यादों के इस बक्से का एक ही पता है - हम!

घर के बड़े-बुज़ुर्ग बताते हैं,
और कुछ तस्वीरें भी गवाह हैं,
की हम पहली मुलाक़ात से ही,
एक दूसरे के ख़यालों को ज़ुबान दिया करते थे,
सब जब एक साथ बैठ कर अंताक्षरी खेलते थे,
हम घर के किसी कोने में साथ बैठ कर ख्वाब बाँट-ते थे.

बचपन से ले कर अब तक का वक़्त इतना खूबसूरत और यादगार रहा है,
की समझ नहीं आता कौन से किससे की बात पहले करूँ?
गर्मियों की छुट्टियाँ और मिट्टी के घर,
नानी से सुनी वो कहानियाँ,
और मेरठ वाले घर की छत,
बे-उम्र बातें और लंबी रातें,
सब लोगों की यही चिंता,
कि कितना वक़्त काफ़ी होगा,
इन दोनो के लिए, शायद,
ज़िंदगी भी कम पड़ेगी.

दी, आपसे मिल कर बचपन से अभी तक बस एक ही बात को, बार बार मैने समझा है,
कि हम दोनो का संयोग शायद खुदा ने बड़ी फ़ुर्सत से बनाया है,
हर कड़ी को जोड़-जोड़ कर हम दोनो का यह रिश्ता इतना हसीन बनाया है.

सोचती मैं हूँ, कह आप देती हैं,
ना ज़ाहिर की हुई तमन्ना,
आप ना जाने कैसे,
मेरी आँखों में पढ़ लेती हैं,
इतना हँसाती हैं की आँखों से आँसू और गले में हिचकियाँ आ जाती हैं,
और इतना प्यार करती हैं की खुद पर ताज्जुब होता है,
की ऐसा क्या किया मैने की आप मेरी बहन बनी.

खुदा से कोई शिकायत नहीं कि काश ऐसा होता या वैसा होता,
क्यूंकी हमारा यह जो नाता है इसमें कुछ और या किसी और की कोई ज़रूरत ही नहीं,
हम दोनो साथ में एक दूसरे की ताक़त और कमज़ोरी दोनो जो हैं,
हम जब तक साथ हैं, क़िस्सी को हूमें तोड़ने की हिम्मत ही नहीं.

कल आपकी शादी है,
ज़िंदगी का एक नया दौर,
एक नयी डोर, एक नया हमसफ़र,
आपके इंतेज़्ज़ार में,
एक एक पल कट रहा है,
कल से आपकी ज़िंदगी बदलने वाली है,
बहुत सी खुशियाँ दामन में गिरने वाली हैं.

इस वक़्त, दिल में बहुत सी मुरादें हैं,
आपके लिए निकलती इस महफ़िल से सिर्फ़ दुआए हैं,
पर मुझे इस बहुत सारी खुशी के साथ साथ, थोड़ा डर भी है,
इन रौनकों में डूबी हुई एक उदास सी नज़र भी है,
आपका प्यार कभी किसीसे बाँटा जो नहीं,
पर फिर एक यकीन भी है,
की आपके इस खूबसूरत सफ़र की शुरूवात के साथ,
हमारे इस अटूट रिश्ते की उमरा और लंबी और हसीन हो जाएगी,
और बचपन में किए तहे जो हमने एक दूसरे से वादे,
वो आप ज़रूर निभाएँगी.

जब भी अकेलापन महसूस हो, बस मुझे याद करिएगा,
और मैं अगली ट्रेन पकड़ कर आपके पास आ जाउँगी,
आज के इस दिन, इस वक़्त को,
बस अपने बचपन के नाम कर दीजिए,
और चलिए फिर वादा करिए,
की यह बचपाना यह पागलपन हमारी उम्र के साथ और जवान होता रहेगा,
और यह दिन याद कर के यहाँ मौजूद हर शक़स बस यूँ ही मुस्कुराएगा.

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